THE WORST ANIMAL(HUMAN)-1
हमारी यह कहानी है एक सामाजिक मुद्दे पर। जिसमें हम रेप पर बात करेंगे इस सब के बारे में आप सभी ने बहुत पहले से ही सुना होगा । कुछ लोगों ने इसका जिक्र भी किया होगा तो कुछ लोगों ने इसके बारे में पढ़ा भी होगा, कुछ लोगों के साथ यह घटना घटित भी हो चुकी होगी । किसी के साथ बाहर वालो ने होगी तो किसी के साथ अपनों ने की होगी।
रेप एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर अजीब सा मूंह बना देते है जैसे कुछ गलत खा लिया हो। अगर किसी लड़की के साथ अगर यह घटना घटित होती है तो लोग उसे बुरी नजर से देखते हैं। लोग मानते है की सारी गलती लड़की की होगी कि उसने सामने वाले लोगों को उकसाया नहीं तो कोई रोड पर चलती लड़की के साथ यह हरकत कर ही नहीं कर सकता। समाज के कुछ लोग की नजरों में सारे आदमी सही और अच्छे और सारी लड़कियां और सारी गलती लड़कियों की होती है।
भारत की जनता मानती है की लड़कियों के साथ जो रेप हो रहे है और यह केस दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है। वो लोग उसका कारण लड़कियों को ही मानती है और वो इसकी मूल वजह क्या देती है छोटे कपड़े कपड़े। कहती है लडकिया अपने कपड़े सही से नहीं पहनती है । इस वजह से लड़के उनके साथ यह हरकत करते हैं। उनका तो यह भी कहना है कि लड़किया लड़कों को खुद आमंत्रित करती है अपने साथ रेप करने के लिए है। लड़कियों के कपड़ों पर जो कमेंट करने वाले लोग होते हैं उसमें आदमी ही नहीं होते औरतें भी होती है। उनकी भी दलीले यही होती है कि भारत में रेप हो रहे उसकी वजह है लड़कियों के कपड़े लड़कियां छोटे कपड़े पहनती है जिस वजह से उनके साथ रेप होता है।
हम औरतों और भारतीय जनता से पूछना चाहते हैं कि 6 महीनों की लड़की को कौन सी साड़ी पहना दी जाए या 2 साल की लड़की को कौन से कपड़े पहना है जाए जिस वजह से उसके साथ रेप ना हो। निर्भया के साथ रेप हुआ उसने कौन से कपड़े पहन रखे थे याद होगा आप लोगों को शायद। उसने सलवार सूट पहन रखे थे फिर भी उसके साथ उन लोगों ने वह हैवानियत की । एक और केस याद दिलाते हम आपको तेलंगाना में जो रेप हुआ था उस लड़की के साथ उसने कौन से छोटे कपड़े पहन रखे थे । फिर भी उसके साथ घटना घटित हुई। रेप लोगों की छोटी मानसिकता की वजह से होता है ना कि उन लड़कियों के द्वारा पहने गए कपड़ों की वजह से।
इस बात का किसी के पास जवाब हो तो बताइएगा जरूर। उस छोटी बच्ची को ऐसी कोन सी साड़ी पहना दी जाए या ऐसे कौन से कपड़े पहने दी जाए जो लोगों की हवस का शिकार ना बने। हम यह नहीं कह रहे हैं कि सारे मर्द खराब होता है कुछ मर्द अच्छे भी होते हैं तो कुछ औरतें भी खराब होती है जो लोगों को फंसा देती है सिर्फ कुछ पैसों के लिए।
कुछ लोग तो ऐसे होते है जो अपनी झूठी इज्जत के खातिर अपनी बेटी को ही मार डालते हैं और उसके साथी हैवानियत कर देते हैं।
आप लोगों ने शायद इस बारे में सुनना हो तो कुछ समय पहले एक घटना सामने आई थी कि लड़की भाग कर शादी कर लेती है और जब कुछ टाइम बाद वह अपने बच्चे को लेकर अपने मायके आती है। तब उसके बच्चे की मौत हो जाती है । तब उसका बाप और भाई कहता है कि इसे ले जाकर कहीं दफना देते हैं और बीच रास्ते में लडकी का बाप लडकी को क्या कहता है पता है तुझमें कुछ ज्यादा ही गर्मी चढ़ी थी ना आज मैं तेरी इस गर्मी को शांत कर देता हूं । वह बाप जिसने अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया, कंधों पर बैठाकर घूमाया होगा , उसके लिए अच्छे-अच्छे कपड़े लाए होंगे अपने हाथो से उसे खाना खिलाया होगा। उसी बाप ने उस बेटी के साथ हैवानियत की फिर उसे मार दिया।
एक और केस के बारे में बात करते है एक बाप जिसने शराब के नशे में अपनी ही बेटी के साथ रेप किया और जब बेटी ने बात अपनी मां को बताई तो उन्हे उल्टा बेटी का साथ देने की बजाय बेटी को ही थपड़ मारा की अपने बाप के बारे में क्या बोल रही हो। उस दिन के बाद से उस बाप की हिम्मत बढ़ गई थी वह रोजाना शराब पी के घर आता और अपनी बेटी के साथ रेप करता । बेटी डर के मारे किसी को बता नहीं पा रही थी एक दिन उसकी मां ने रेप करते हुए अपने पति को देख लिया।
लेकिन तब तक देर बहुत हो चुकी थी शराब के नशे में वह आदमी इतना चूर था कि उसे पता ही नहीं था कि उसने बेटी के साथ जबरदस्ती करते हुए उसका गला दबा रखा है और सांस न ले पाने की वजह से उसकी बेटी की मौत हो चुकी थी । वह अपनी मरी हुई बेटी के साथ रेप कर रहा था फिर क्या उस बात को घर वालों ने दबा दिया । घर की इज्जत के खातिर सबको बोल दिया कि लड़की बीमार थी और उसी वजह से हो अब नहीं रही।
अगर यह बात बाहर चली गई तो घर की इज्जत चली जाएगी । ऐसी यह एक नहीं अनेकों कहानियां है जो रोजाना न्यूज़ पेपर में आ रही है रोजाना पता नहीं कितने रेप हो रहे हैं कोई एफ आई आर दर्ज करवाता है तो कोई अपनी झूठी इज्जत के खातिर नहीं करता और केस कर भी ले तो होता क्या है इंसाफ तो मिलने से रहा। अपनी कानून व्यवस्था इतनी अच्छी है कि अपराधियों को बचने के लिए एक से एक कानून रखा बना रखा है अपने संविधान में अपराधी आसानी से बच जाए।
अपराधी को ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती बचने के लिए एक वकील उसे कुछ दिन में जेल से बाहर निकाल देगा ओर केस चलता रहेगा। पुलिस वाले उन से भी महान है अगर कोई लड़की अपने साथ हुए रेप की एफ आई आर दर्ज करवाने आती है तो पुलिस वाले उससे पूछते तुम्हारे साथ क्या हुआ, कैसे हुआ एक एक बात लिखो कौन लोग थे। ऐसे उटपटांग सवाल पूछते रहते हैं यहां तक कि यह भी पूछते हैं कि मजा आया या नहीं। पुलिस अपना काम सही से नहीं करती और सबूत ना मिलने की वजह से कई अपराधियों को तो बाइज्जत बलि भी कर दिया।
भारतीय भारतीय कानून व्यवस्था के अकॉर्डिंग मैरिटल रेप मतलब विवाहित महिला के साथ जबरदस्ती को रेप नहीं माना जाता । किसी विवाहित महिला के साथ अगर जबरदस्ती हो रही है और अगर बाहर वाला कर रहा है तो उसे रेप माना जायेगा और अगर जबरदस्ती करने वाला घर का अंदर का हो मतलब उसका पति हो तो इस घटना को रेप नहीं माना जाता अपनी कानून व्यवस्था के अनुसार।
भारतीय कानून व्यवस्था के अनुसार वह उसका मौलिक अधिकार है। मतलब किसी अगर शादी कर ली तुमने उसके बाद वह तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता है यह उसका मौलिक अधिकार है। अगर शादी के बाद लड़की पर आदमी का अधिकार हो जाता है उसके साथ सेक्स करना आदमी का मौलिक अधिकार है तो सेक्स ना करने के लिए मना करना भी लड़की का मौलिक अधिकार है अगर उसका किसी चीज के लिए मन नहीं है तो वह मना कर सकती है। यह उसका अधिकार है जितना हक एक आदमी का और शादी के बाद औरत पर होता है उतना ही हक औरत का भी आदमी पर होता है।
कुछ लड़कियां इसके खिलाफ आवाज भी उठाती है उनकी आवाज दबा देते हैं घरवाले कहते यह तो उनका अधिकार है कुछ दिन पति करेगा उसके बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा। लड़कियों को शुरू से ही दबा दिया जाता है और उसकी शुरुआत करते हैं उसके घर वाले तुम लड़की हो तुम यह नहीं कर सकती, तुम वह नहीं कर सकती , तुम सही क्यों नहीं चला सकती, तुम गाना नहीं गा सकती, तुम ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सकती , तुम लड़की हो तुम्हें तो घर ही संभालना है तुम पढ़ कर कहां जाओगे। शादी के बाद बच्चे ही पैदा करने। भगवान ने बच्चे पैदा करने का हुनर लड़की को दिया है तो उन्हें संभालने का अधिकार भी दिया है कि वह पढ़ लिखकर अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दे सकती है। बच्चे को संभालने का अधिकार सिर्फ मां का ही नहीं होता जितना मां का अधिकार होता है उतना का उतना उनके बाप का भी होता है । यह कहां लिखा हुआ है कि लड़के ही पैसे कमा कर लाएंगे लड़की नहीं ला सकती क्या लड़के खाना नहीं बना सकते क्या।
वैसे तो कहते हैं कि लड़के और लड़कियां बराबर है लड़कियां लड़कों से आगे जा रही है। दोनों बराबर ही है तो अगर तो ऐसा यह क्यों कहा जाता है कि लड़कियां पहले जाएगी या लेडीस फर्स्ट। हमेशा लड़कियों को पहले क्यों भेजा जाता है, किसी भी लाइन में लगे वह लड़कियों को पहले भेजा जाएगा , बस में जाओ लड़कियों को पहले सीट दे दी जाएगी या ट्रेन में जाओ लेडीस सीट लिखा हुआ। ऐसा क्यों होता है एक तरफ तो तुम लोग कहते हो कि लड़कियां लड़कों से आगे जा रही है लड़कियां और लड़के बराबर है दोनों में कोई अंतर नहीं है । और एक तरफ तुम उन्हे ही कमजोर दिखा रहे हो, लड़कियां इतनी कमजोर होती है जितना उन्हे दिखाया जाता है वो खुद की रक्षा नहीं कर सकती।
क्योंकि सबसे बड़ी दुश्मन लड़कियां खुद होती है और खुद को इतना कमजोर मान लेती है कि लोग उनके साथ कुछ भी करके चले जाते हैं और वह कुछ कर नहीं पाते। उन्हे अगर किसी ने कहा तुम कमजोर हो तो बस वह मान बैठी की मैं कमजोर हूं उसके खिलाफ गलत हो रहा है तो उसे उसका विरोध करना चाहिए भले कोई साथ दे या ना दे । बैठ कर देखते नही रहना चाहिए।
अगर तुम सहते रहोगे तो सामने वाले की हिम्मत बढ़ती जाएगी ऐसे ही तुम एक दिन घुट घुट के मर जाओगे। अगर तुमने बच्चे पैदा किए हैं तो तुम्हारे बच्चे भी यही सीखेंगे और उसमें अगर लड़की है तो वह भी यही सीखे ही कि जैसे मां घुट घुट के जी रही थी हमें भी वैसे ही जीना है अपने पति के सामने कुछ नहीं बोलना है अगर वो गलत भी कर रहा है फिर भी कुछ नहीं बोलना है। वह जो कर रहा है उसको चुपचाप सहते रहो। पर अगर लड़का है तो वह भी यही सीखेगा की जैसा बाप कर रहा है हमें भी वैसा ही करना है औरतों को हमेशा दबाकर रखना। औरतें ऊंची आवाज में बात नहीं करनी चाहिए। औरतों को हमेशा अपने पैरों की जूती समझ कर रखो। पति ने अगर कुछ कहा है तो पत्नी को मानना ही पड़ेगा चाहे वो सही हो या गलत अगर नही मानती है तो उसके साथ मारपीट करो। यही होता आया है और यही होता रहेगा जब तक लड़की खुद नहीं सीखेगी बोलना अपने लिए तब तक यही होगा। लड़की अगर खुद अपनी इज्जत करना नहीं सीखे की तो कोई और उसकी इज्जत नहीं करेगा।
आपके साथ अगर गलत हो रहा है तो उसे सहना छोड़ दो खुद के लिए बोलना सीखो कोई और नहीं आएगा आपके लिए बोलने वाला ,आपको ही लड़ना पड़ेगा।
बचपन से लेकर आज तक कितनी ही बार लड़कियों को अनचाहे ही छुआ गया। कभी गाल खींचते हुए। कभी बांहों में चुटकी लेकर। कभी गुदगुदी के बहाने । कभी गोद में उठाते हुए। कभी सडक पर, तो अक्सर घर पर। उन्होंने कभी टाला, कभी हंसी तो कभी होंठ काटकर चुप रह गईं। बस, विरोध नहीं किया। गलती उनकी भी थी। न उन्होंने जताया, न तुमने जाना। अब वह बोल रही हैं ।
किसी के साथ रिलेशनशिप बनाना अच्छी बात है जब तक उसमें दोनों की सहमति हो । अगर सामने वाला मना कर रहा है नहीं, यानी नहीं। जब वह मना करें तो समझो- नहीं। जब वह कतराएं तो समझो- नहीं। जब वह थकान से निढाल हों तो समझो- नहीं। जब वह पीरियड्स की दवा लेती दिखें तो समझो- नहीं। चाहे वह लाख तंदुरुस्त हों और तब भी पीछे हट जाएं तो समझो- नहीं। इस मामूली-से 'नहीं' को समझ के लिए ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है बस अच्छे दिल का इंसान होना चाहिए वह सामने वाली की इज्जत करेगा।
कमश:
।। जयसियाराम ।।
vishalramawat
Natasha
05-Apr-2023 12:10 PM
Nice
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वानी
03-Feb-2023 10:59 PM
nice
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Satvinder Singh
02-Feb-2023 01:04 AM
दिल को छू लिया भाई साहब एक दम कड़क कटाक्ष किए हो घटिया लोगों की घटिया मानसिकता पर
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Vishal Ramawat
02-Feb-2023 09:19 AM
shukriya sir
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